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लेखनी प्रतियोगिता -07-Nov-2022 रंडुआ

रंडुआ 


कैलाशी अपनी बहू सीमा के कमरे में आ गई।  "अरे मांजी आप ! मुझे ही बुलवा लेती आप , आपने क्यों कष्ट किया" ? 
"प्यासा ही कुंए के पास जाता है बहू, कुंआ कभी प्यासे के पास नहीं जाता" । एक निश्वास छोड़ते हुए कैलाशी बोली । 
सीमा कुछ समझ नहीं सकी इसलिए वह अपनी सास के चेहरे को जिज्ञासा से देखने लगी 
"मैं कैसे कहूं सीमा , कुछ समझ में नहीं आ रहा" । उलझन में थी कैलाशी । 
"ऐसी क्या बात है मांजी ? इससे पहले तो आप कभी ऐसे परेशान नहीं दिखीं । मुझसे संबंधित कोई परेशानी है क्या मांजी" ? 
कैलाशी कुछ नहीं बोली बस वह शून्य में ताकती रही । दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही । सीमा कैलाशी को पलंग पर बैठाने के लिए खड़ी हो गई । 
"आप यहां आराम से बैठिए मांजी , फिर बताइये कि समस्या क्या है" ? 
कैलाशी पलंग के एक किनारे पर बैठ गई । उसने सीमा को अपने पास बैठा लिया और उसके हाथ अपने हाथों में लेकर कहने लगी 
"तुम राधे के बारे में क्या जानती हो" ? 
इस पर सीमा चौंकी । राधे यानि कि "जेठ जी" । इनके बारे ऐसे क्यों पूछ रही हैं सासूजी, उसे समझ में नहीं आया । वह बोली 
"यही कि वो जेठ जी है" 
इस जवाब पर कैलाशी हलके से मुस्कुराई।  कहने लगी
"ये बात तो बच्चा बच्चा जानता है । इसके अलावा और क्या जानती हो" ? 
थोड़ी देर तक सीमा सोचती रही मगर वह बोली कुछ नहीं । तब कैलाशी कहने लगी 
"मेरा राधे 24 कैरेट सोना है । राम है राम । जानती है बहू कि उसने हमारे लिए क्या किया है" ? 
सीमा ने इन्कार में गर्दन हिला दी । 
तब कैलाशी कहने लगी "तुम्हें कैसे पता होगा बहू कि राधे ने क्या किया है ? लो , आज मैं बताती हूं । बात तबकी है जब राधे 10 साल का था । हमारे 5 बीघा पक्का खेत था । एक दिन गांव के एक लठैत परिवार ने उस पर जबरन कब्जा कर लिया । तेरे ससुर को बहुत मारा पीटा और खेत से धक्का देकर भगा दिया । उन्होंने थाना , कचहरी सब किया मगर कुछ नहीं हुआ । तेरे ससुर अपनी बेबसी पर रोज रोते रहते थे । उन्हें रोते देखकर राधे का खून खौलता था मगर कहता कुछ नहीं था । राधे ने पढाई बीच में छोड़ दी और अखाड़े में पहलवानी सीखने लगा । जब मुझे पता चला तो मैंने उसे खूब मारा मगर वह चुपचाप पिटता रहा । कुछ नहीं बोला । दूसरे दिन भी वह स्कूल नहीं गया और अखाड़े में दंड पेलने लगा । मैं वहां गयी और अखाड़े वाले से खूब लड़कर आई कि उसने इसे बहका दिया है । अखाड़े वाले ने कहा भी कि उसने इसे नहीं कहा मगर मैं नहीं मानी । तब अखाड़े वाले ने इसे डांटकर भगा दिया । लेकिन यह स्कूल नहीं गया और नदी किनारे जाकर पहलवानी सीखने लगा । तब मैंने जान लिया कि यह पहलवान बनना चाहता है तो मैंने इसे अखाड़े में ही भेजना शुरू कर दिया और इसकी खुराक भी बढा दी जिससे यह शरीर से भी पहलवानबने । 
समय बीतता गया और यह जवान हो गया । जब यह बीस साल का हो गया तो एक दिन यह अपने खेत पर लट्ठ लेकर  अकेला ही चला गया और उसमें हल चलाने लगा । लठैत परिवार के लोग खेत पर आ गये । वे दस आदमी थे और यह अकेला था ।  यह अकेला ही उनसे भिड़ गया । चूंकि यह एक नामी पहलवान बन गया था इसलिए इसने अकेले ही उन सबको मार भगाया । इस मारापीटी में राधे पूरा लहूलुहान हो गया था मगर इसने हिम्मत नहीं हारी और लड़ता ही रहा । इस तरह राधे ने अकेले ही उस खेत पर कब्जा फिर से कर लिया । इसे अस्पताल में भर्ती करवाया और,यह पूरे दस दिन अस्पताल में ही रहा । जगह जगह टांके आये थे इसके मगर इसने उफ तक नहीं किया । हंसता ही रहा । 
लठैतों ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी और पुलिस राधे को पकड़कर ले गई । हाईकोर्ट से जमानत कराने में 6 महीने लग गये । पीछे से लठैतों ने फिर से कब्जा कर लिया खेत पर । पर जिस दिन राधे जेल से छूटकर आया उसी दिन वह सीधा खेत पर ही गया और उस दिन फिर से वही खेल चला और राधे ने फिर से कब्जा कर लिया और धमकी दे आया कि अगर उन्होंने कब्जा दुबारा किया तो वह लाशें बिछा देगा खेत में । उसकी इस धमकी का बहुत असर हुआ । 
राधे को फिर से पुलिस पकड़ कर ले गई मगर अब लठैतों ने फिर से कब्जा नहीं किया । खेत पर हमारा ही कब्जा रहा । तेरे ससुर और श्याम जीतने बोने लग गये थे क्योंकि कोर्ट ने राधे को तीन साल की सजा सुनाई दी थी । वह तीन साल जेल में ही रहा । 
जब वह सजा काटकर घर आया तब वह 25 बरस का हो गया था । उसकी शादी के लिये रिश्ते भी आने लगे थे मगर उसने मना कर दिया । अपने गांव की चंपा है ना , वो मरती थी उस पर मगर उसने उसे भी मना कर दिया । चंपा की मां मेरे पास आई तब मैंने राधे को बहुत समझाया कि वह चंपा से विवाह कर ले मगर उसने कहा कि उसकी शादी तो उस खेत से हो गई है इसलिएही उसने 'पहलवानी' सीखी थी, अब दूसरी शादी नहीं करेगा वह । रो धोकर चंपा की मां ने चंपा की शादी कहीं और कर दी । राधे अविवाहित ही रहा और हमारे परिवार की सेवा करता रहा । इस परिवार के लिए उसने अपना सारा जीवन दांव पर लगा दिया । अगर वह नहीं होता तो वह खेत कभी वापिस नहीं आ सकता था । अब तू ही बता, क्या उसे कोई सा भी सुख पाने का अधिकार नहीं है ? वह किसके लिए 'रंडुआ' रहा ? हमारे लिये ही ना ? तो अब उसके सुखों की चिंता भी तो हमको करनी चाहिए कि नहीं" ? 
सीमा ने हां की मुद्रा में गर्दन हिला दी । अब कैलाशी ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसका मुंह अपनी ओर कर उसकी आंखों में सीधा देखकर कहा "तू उसे औरत का सुख दे दे सीमा । मैं तुझसे राधे के सुख की भीख मांगती हूं । वैसे भी वो तेरा जेठ लगता है । उसके साथ उसकी लुगाई की तरह से रहना शुरू कर दे । कभी राधे के साथ सो जाना और कभी श्याम के साथ । बात घर की घर में ही रहेगी , बाहर नहीं जायेगी । बोल , क्या तू मेरी इतनी सी बात मानेगी" ? 
सीमा भौंचक्की होकर कैलाशी को देखती रह गई । क्या कह रही है उसकी सास ? क्या उसे द्रोपदी बनना होगा ? ये कैसे संभव है ? उसने तो कभी जेठ जी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था । कौन औरत ऐसा सोचती है ? जेठ जी ने तो कभी उसकी तरफ देखा भी नहीं है । पर सासू मां कह रही है तो कोई बात तो होगी । ये उसे आज ही पता चला था कि जेठ जी ने क्यों विवाह नहीं किया । वह तो उन्हें 'रंडुआ' ही समझ रही थी अब तक और सोच रही थी कि उनका विवाह हुआ ही नहीं था । कैलाशी की बात से सीमा ऊपर से नीचे तक हिल गई थी । 
"मैंने श्याम से भी बात कर ली है, उसे इस पर कोई ऐतराज नहीं है । बल्कि वह तो कह रहा था कि अगर वह भैया को कोई भी खुशी दे पाया तो यह उसके जीवन के सर्वश्रेष्ठ क्षण होगा । अब बात बस तुझ पर ही ठहरती है । कोई जल्दी नहीं है , आराम से सोच समझ कर बता देना" । और कैलाशी वहां से चली गई । सीमा वहीं पर हतप्रभ सी बैठी रही । 
इस बात के बाद एक दो दिन तो वह अचेत सी अवस्था में ही रही । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे ? क्या 'इन्होंने' सचमुच में हां कह दिया है ? अगर हां तो मुझे बताया क्यों नहीं ? वह अपने पति श्याम पर गुस्सा हो गई । 
"सुनो, आपकी मां ने मुझे कुछ कहा था । क्या आप भी वैसा चाहते हैं" ? सीधा श्याम की आंखों में देखकर उसने कहा । 
श्याम नजरें चुराकर कहने लगा "मां ने कुछ सोच समझकर ही कहा होगा । मुझे तो अच्छा लगेगा अगर तुम भैया को कुछ सुख दे सको तो" ? 
"पर आपने इतना भी नहीं सोचा कि वे मेरे जेठ जी हैं । पिता समान हैं वे ।  ये सब मैं उनके साथ कैसे कर सकती हूं" ? 
"तुम आराम से ठंडे दिमाग से सोचना और फिर कुछ फैसला करना । अभी कोई जल्दी नहीं है । भैया ने अपना सारा जीवन हमें दे दिया । हम इतना सा भी नहीं कर सकते हैं क्या उनके लिए ? और हां, अभी भैया से कुछ मत कहना" 

सीमा कुछ नहीं बोली । उसके मस्तिष्क में विचारों की श्रंखला चलने लगी और उसके दिमाग में बार बार द्रोपदी की छवि घूमने लगी । 

क्रमश: 
श्री हरि 
7.11.22 

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14 Comments

Palak chopra

09-Nov-2022 04:11 PM

Shandar 🌸🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:26 PM

🙏🙏

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Khan

08-Nov-2022 11:39 PM

Bahut khoob 😊🌸

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:26 PM

🙏🙏

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Mithi . S

08-Nov-2022 08:28 PM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:26 PM

🙏🙏

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